मत रोको मुझे उड़ने से
मुझे आसमां की ऊचाई का अहसास है,
तुम्हें क्या होता है क्या पता?
मुझे अपने पंख पर विश्वास है.
आशा अंबर को छूने की से मुग्ध हूँ,
मत तोड़ हौसला सुन-सुनकर मैं क्षुब्ध हूँ,
मुझमे तुझमे अंतर बस इतना छोटा है,
तुम अचरजता में जिसको कहते हो 'अनंत'
मैं थिर भावों से कहता हूँ 'आकाश' है.
डैना टूटे, टूटे चप्पू उत्कर्ष में,
निकले ऊर्जा सारा चाहे संघर्ष में,
मुझमे तुझमे वैसा ही अंतर फिर निकला,
लम्बी सांसों को खीच कहे तुम 'मील-दूर',
होठों पर मुस्की पाल कहूं मैं 'पास है'.
मुझे अपने पंख पर विश्वास है.
No comments:
Post a Comment