Sunday 28 August 2011

वाह-वाह भ्रष्टाचारियों

भ्रस्टाचार रूपी नौका पर सवार
सफेदपोशों की काली करतूत
करती है विकास को अवरुद्ध ,
डालती है सामाजिक प्रगति में बाधा 
रूढ़ परम्पराओं का समर्थन कर 
जिसने अपना हित साधा .

घुन बनकर प्रशाषण की निष्पक्षता से
जनता के विश्वास  की जड़ों को
करती है खोखला,
बनाती जाती है प्रशाषण को भ्रस्टाचार का घोसला,
क़ानूनी शाषण की जड़ों को
करता है कमजोड,
अजीब विडम्बना है जनता इन्ही के हाथों मजबूर,
नियमों के साथ करता है खिलवाड़ 
उसे तोड़ता-मरोड़ता है,
देश का धन स्पंज की तरह चूसकर
स्विस बैंक में निचोड़ता है.
हतोत्साहित करता है पूंजी निवेश को
संक्रामक की तरह कब्जाती जा रही है देश को.
काले बाजार की अर्थव्यवस्था पनपाता है
राष्ट्रीय हितों की राह में रोड़े अटकाता है.
बूट से ठोकर मारकर मारकर हटाने वाला 
कोई नहीं है,
बिमाड़ी है संक्रामक
सब इसकी चपेट में आता जाता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा की नीव में
लगाता जा रहा है पलीता,
वही सफेदपोश अपनी काली जुबान से
कभी लिया था शपथ
काले हाथों से पकड़कर गीता,
सफेदी से पुता हुआ काली करतूत
देश को कर रहा है बर्बाद,
आम जनता मौत के मुंह तक
हो गई है तबाह,
वाह-वाह देश के भ्रष्टाचारियों वाह।

2 comments:

  1. achha likhte hain aap..hindi typing me thoda khayaal rakkhen ki sahi shabd type ho...thanx..

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  2. apne bhrastachariyon ki kali kartut ko apni sundar sabto me jo baya kiya hai lajabab hai,...........

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