अरे हिमालय बता मुझे
ये क्या होता है?
गंगा यमुना बहती है,
या तू रोता है?
गंगा धार बनी है किसकी याद बता,
किसकी यादें रही अभी तक तुझे सता,
तुम किस आशा में चिरकालों से हुए खड़े,
झंझा - तूफान, गर्जन - तर्जन से लड़े - अड़े,
किस विरहा में धीरे - धीरे घुले जा रहे,
किसकी यादों में स्वंय भूले जा रहे,
तुम्हे नहीं पता गंगा की धारों में
हँस - हँस लोग पाप धोते हैं,
इधर किसी का घर जलता है
और कोई हाथ सेते हैं।
यह मेरी वाणी जब तक गंगा धार
सिन्धु में नाद रहेगी,
दुनिया तेरी विरह कथा को याद करेगी।
है मुझे पता यदि कोई ऐसे धीर बनेगा ,
प्रेम मिले न मिले प्रेम की पीर बनेगा।
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