tag:blogger.com,1999:blog-6567722524339749951.post8447174865731983123..comments2014-03-22T09:10:42.878-07:00Comments on मधुबन : अथ पंकज पुराण: कहीं शाम ढले पंकज जी घर क्यूँ नहीं आते विवेक झा http://www.blogger.com/profile/04096951599678698639noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6567722524339749951.post-43688889039411706472014-03-22T09:10:42.878-07:002014-03-22T09:10:42.878-07:00ये सब पंकज सिर्फ तुम्हे ही क्यों बताता था लेकिन ?
...ये सब पंकज सिर्फ तुम्हे ही क्यों बताता था लेकिन ?<br />क्या तुमसे कोई संभावित खतरा था या फिर लड़की तक तुम्हारी पंहुच थी ?Praveen Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/16463524658550260693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6567722524339749951.post-3899969648414586472014-03-22T09:05:45.503-07:002014-03-22T09:05:45.503-07:00वैसे सच में किरण ही थी न शाम की कोचिंग का बहाना ...वैसे सच में किरण ही थी न शाम की कोचिंग का बहाना ........... परन्तु सबसे उम्दा लाइन इस कहानी की .......कभी - कभी हमारी अंध उत्सुकता दूसरों को क्लेशयुक्त भी कर सकती है | इसीलिए उत्सुकता, जिज्ञासा जैसे गुणों पर भी अति पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है | Neelima sharma - nivia https://www.blogger.com/profile/16541436884962369862noreply@blogger.com